शाम का वक़्त करीबन ५ बजे हमेशा की तरह मैं ऑफिस की और निकल पड़ा, तेज म्यूजिक कानो मैं और अपनी ही दुनिया मैं मस्त। करीबन २० - २५ मिनट लगते हैं मुझे अपनी ऑफिस मैं पहुचने के लिए ।
आसान और दिनभर की घटनाए को मेरे विचारों के साथ मिलाते हुए इस जगह आप लोगों के साथ बाटने मैं मुझे आनंद मिलता हैं। खैर चालों वापस मेरी ऑफिस की और।
घर से जब निकलता हूँ , सामने ही एक बड़ा बाग़ पड़ता हैं और काफी सारे लोग अपने बच्चों के साथ खेलते कूदते नजर आते हैं दूसरी और नजर डालते हुए बगल मैं मंदिर पड़ता हैं और काफी सारे लोग शाम की आरती के लिए तैयार दिखते हैं, ग्लासगो की ख़ास बात यह हैं की जान या पहचान की ज़रुरत नहीं होती और एक दुसरे को ख़ुशी भरी मुस्कुराहट देने का रिवाज हैं। ऑफिस की और निकलते ही.. जब इतनी अच्छी शुरुवात हों तब आगे का सफ़र भी अच्छा लगने लगता हैं, आलस जैसे गायब हो जाती हैं। दूसरी ख़ास बात यह हैं की अपने देश से इतनी दूर होते हुए भी यहाँ कें लोग पराया महसूस नहीं होने देते हैं। मैं अब ५ मिनट अपनी घर से दूर हूँ और इसे मैं 'विचार पथ' का नाम देता हूँ क्योंकि मुझे सबसे ज्यादा विचार और राइ देने का दिल इस ५ मिनट मैं करता हैं।
अब मैं अपने तीसरे गाने मैं पहुच चूका हूँ मतलब करीबन पंधरा मिनट हो चुके हैं घर से निकलते, इस भाग के सफ़र को मैं 'दान पथ' नाम देता हूँ । पीले , लाल और हरे कमीज मैं दिखने वाले लोग चारों और फैल चुके होते हैं, राह मैं चलने वाले लोगों को रोकते हैं और अपनी अपनी संस्थाओं को दान देने का प्रस्ताव करते हैं | इस वक़्त मुझे अपनी स्कूल के दिन याद आते है क्यूंकि बचपन मैं जैसे मास्टरजी से बचने के लिए हम आख नहीं मिलाना चाहते वैसे ही इन संस्थाओं के लोगों से बचने के लिए हम तरह तरह के हथकंडे अपनाते हैं, कई लोग फ़ोन पे होने का दिखावा करते हे , कई लोग जल्दी मैं होने का दिखावा करते हैं और मैं उनकी तरफ चलता हूँ और उनको कहता हूँ की पहले मैं एक बंधे से बात कर चूका हूँ और पतली गली से सटक जाता हूँ ।
अब मैं अपने तीसरे और आखरी पढाव पे हूँ ऑफिस से १० मिनट की दूरी पे और इसे मैं ' मॉडल पथ ' नाम देता हूँ इस आखरी पढाव मैं कई उतार चढ़ाव हैं और मेरे सबसे पसंदीदा गाने इस समय आते हैं । कई सारे चौराहे भी पड़ते हैं तोह इस समय गाने के भावनाओ को मद्दे नजर रखते हुए मैं बिलकुल किसी फिल्म के हीरो या किसी सुपर हीरो की तरह महसूस करता हूँ और चौराहे किसी रैम्प वाल्किंग जैसे पार करना और जैसे दुनिया मेरी हैं ऐसे महसूस करना बिलकुल ख़ुशी महसूस करता हूँ। क्या करे आप सोच रहे होंगे की भाई यह का मतलब हुआ लेकिन जोह लोग अपने पसंदीदा गाने पे होते हैं और रास्ते मैं चलते हैं उनको बिलकुल समाज आ गया होगा की मेरे कहने का मतबल क्या हैं ।
अब मैं ऑफिस के द्वार पे (पहुच चूका हूँ, पास निकालो , फ़ोन बंद करो , आईपॉड को बैग मैं डालो और चले जाओ भीतर।
यह मेरी ऑफिस का सफ़र हैं , कोई भी ख़ास बात नहीं हैं इसमें, कोई मतलब निकालने की कोशिश भी मत करना, जैसे मैने पहले कहा था......
......आसान और दिनभर की घटनाए को मेरे विचारों के साथ मिलाते हुए इस जगह आप लोगों के साथ बाटने मैं मुझे आनंद मिलता हैं
आसान और दिनभर की घटनाए को मेरे विचारों के साथ मिलाते हुए इस जगह आप लोगों के साथ बाटने मैं मुझे आनंद मिलता हैं। खैर चालों वापस मेरी ऑफिस की और।
घर से जब निकलता हूँ , सामने ही एक बड़ा बाग़ पड़ता हैं और काफी सारे लोग अपने बच्चों के साथ खेलते कूदते नजर आते हैं दूसरी और नजर डालते हुए बगल मैं मंदिर पड़ता हैं और काफी सारे लोग शाम की आरती के लिए तैयार दिखते हैं, ग्लासगो की ख़ास बात यह हैं की जान या पहचान की ज़रुरत नहीं होती और एक दुसरे को ख़ुशी भरी मुस्कुराहट देने का रिवाज हैं। ऑफिस की और निकलते ही.. जब इतनी अच्छी शुरुवात हों तब आगे का सफ़र भी अच्छा लगने लगता हैं, आलस जैसे गायब हो जाती हैं। दूसरी ख़ास बात यह हैं की अपने देश से इतनी दूर होते हुए भी यहाँ कें लोग पराया महसूस नहीं होने देते हैं। मैं अब ५ मिनट अपनी घर से दूर हूँ और इसे मैं 'विचार पथ' का नाम देता हूँ क्योंकि मुझे सबसे ज्यादा विचार और राइ देने का दिल इस ५ मिनट मैं करता हैं।
अब मैं अपने तीसरे गाने मैं पहुच चूका हूँ मतलब करीबन पंधरा मिनट हो चुके हैं घर से निकलते, इस भाग के सफ़र को मैं 'दान पथ' नाम देता हूँ । पीले , लाल और हरे कमीज मैं दिखने वाले लोग चारों और फैल चुके होते हैं, राह मैं चलने वाले लोगों को रोकते हैं और अपनी अपनी संस्थाओं को दान देने का प्रस्ताव करते हैं | इस वक़्त मुझे अपनी स्कूल के दिन याद आते है क्यूंकि बचपन मैं जैसे मास्टरजी से बचने के लिए हम आख नहीं मिलाना चाहते वैसे ही इन संस्थाओं के लोगों से बचने के लिए हम तरह तरह के हथकंडे अपनाते हैं, कई लोग फ़ोन पे होने का दिखावा करते हे , कई लोग जल्दी मैं होने का दिखावा करते हैं और मैं उनकी तरफ चलता हूँ और उनको कहता हूँ की पहले मैं एक बंधे से बात कर चूका हूँ और पतली गली से सटक जाता हूँ ।
अब मैं अपने तीसरे और आखरी पढाव पे हूँ ऑफिस से १० मिनट की दूरी पे और इसे मैं ' मॉडल पथ ' नाम देता हूँ इस आखरी पढाव मैं कई उतार चढ़ाव हैं और मेरे सबसे पसंदीदा गाने इस समय आते हैं । कई सारे चौराहे भी पड़ते हैं तोह इस समय गाने के भावनाओ को मद्दे नजर रखते हुए मैं बिलकुल किसी फिल्म के हीरो या किसी सुपर हीरो की तरह महसूस करता हूँ और चौराहे किसी रैम्प वाल्किंग जैसे पार करना और जैसे दुनिया मेरी हैं ऐसे महसूस करना बिलकुल ख़ुशी महसूस करता हूँ। क्या करे आप सोच रहे होंगे की भाई यह का मतलब हुआ लेकिन जोह लोग अपने पसंदीदा गाने पे होते हैं और रास्ते मैं चलते हैं उनको बिलकुल समाज आ गया होगा की मेरे कहने का मतबल क्या हैं ।
अब मैं ऑफिस के द्वार पे (पहुच चूका हूँ, पास निकालो , फ़ोन बंद करो , आईपॉड को बैग मैं डालो और चले जाओ भीतर।
यह मेरी ऑफिस का सफ़र हैं , कोई भी ख़ास बात नहीं हैं इसमें, कोई मतलब निकालने की कोशिश भी मत करना, जैसे मैने पहले कहा था......
......आसान और दिनभर की घटनाए को मेरे विचारों के साथ मिलाते हुए इस जगह आप लोगों के साथ बाटने मैं मुझे आनंद मिलता हैं